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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ १३ ॥

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

न सूक्तं नापि ध्यानं च, न न्यासो न च वार्चनम्।।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।

यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

नवरात्रि के नौ दिनों तक इसका पालन करना होगा तभी ये पूर्ण फल प्रदान करेगा.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

Swamiji states, “A compelling want is something that makes us stand up also to the fullest ability assert ourselves on the furtherance of your intention. The real key should be to center on the mantras.”

मां दुर्गा की पूजा-पाठ में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें. सुबह-शाम जब भी आप ये पाठ करें तो स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और फिर इसे शुरू करें.

ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते more info हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.

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